चेन्नई के ऐरफोर्स स्टेशन में, सर्दी की छुट्टियाँ ,
बालकनी में खड़ा मैं देख रहा था,
कालोनी की गतिविधियाँ ,
अनुशाशन में खड़े ऊंचें लम्बे पेड़ों की कतारें ।
शांत, नीरव, सजी साफ़ सुथरी सडकें ,
सजे धजे एक से बंगले हर के बंगले सामने ,
छोटी बड़ी चमकती कारें,स्कूटरें
भोर से सुबह, सुबह से दोपहर, दोपहर से शाम,
शाम से रात, गुज़रती रही आँखों के सामने से कायनात ।
स्कूल, बच्चे, जिम, मोर्निंग -ईवनिंग वाक्
बौंसिंग, ठहाके, जानदार पार्टियाँ, हँसी -ठिठोल
आकाश में उड़ते जहाज़ों की
आसमान को छू लेने ललक ,
नीचे घरों में जाँबांजों के साथ मिले
पलों को भर पूर जी लेने की चहक
ऐरफोर्स स्टेशन में योध्हा एक नहीं है
उनका पूरा परिवार है, एक सीमा पर तैनात,
एक आकाश में उड़ाने का अभ्यास करता है
तो दूसरा नीचे अपने साहस से हौसला बढ़ाता है
वीरांगनाओं के फ़ोर्स से ही ऐरफोर्स चलता है
Hats off to all families of Air Force
They are different, their courage makes them different and this makes a great difference
That is Air Force
रविवार, 26 दिसंबर 2010
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