गुरुवार, 30 दिसंबर 2010

नव वर्ष

बीता वर्ष , गया संघर्ष
नूतन वर्ष .मनाओ हर्ष
खुशियों की सौगात लिए
कलियों की बारात लिए
रंग बिरंगे फूल खिलें हैं
उपवन उपवन हिलें मिलें हैं ,
आशाओं से झूम रहा मन ,
कितनें सपनें देख रहा मन ।
नन्हीं छोटी खुशियाँ अपार
देख सकें यदि आर पार
कैसा भी भी हो मन का विकार
जगमग जगमग हर प्रकार
पुलकित अंग अंग ,मन की उमंग
झिलमिल ,झिलमिल हर तरंग .
नूतन वर्ष , मनाओ हर्ष .

कोई टिप्पणी नहीं: