शनिवार, 9 मई 2009

प्रिय पाठकों

जब कभी आपका दिन अच्छा बीतता है तो अनायास मन चहक कर सोचने लगता है की आज किसका मुख देखकर उठा था की सब कुछ इतना अच्छा और सफल बीत रहा है, लेकिन यदि सुबह से ही कुछ गड़बड़ होने लागे दुखी मन से आह निकल पड़ती है। ओह न मालूम किस मनहूस का चेहरा देखा था। कौन सा अपशकुन हुआ? जो सारा दिन ही बिगड़ गया।शकुन और अपशकुन यह मन का भ्रम है या सच है.अपने विचार लिखिये.लोग परेशान हैं उन्हें आपकी की ज़रूरत है। आपकी..Anushi

1 टिप्पणी:

प्रकाश गोविंद ने कहा…

bahut achha laga yah jaankar ki aap allahabad ke rahne weale hain.

in sab bhram ke peechhe hamaare sanskaar aur maahaul ka bahut bada haath hota hai.

maine pichhli post isi vishay par likhi thi