रविवार, 25 अप्रैल 2010

लोग कहतें हैं

लोग कहतें सपने तो देखा करो,
कुछ तो पूरे ह्होंगे कभी ये सोचा करों
पीछे मुड़ कर न देखो ,आगे बढ़ते चलो
लोग कहते हैं सपने तो देखा करों। ,

धुन लगी ही रही ,धुन लगी ही रही।
धन कमाने में मेरा ये दरबार छूटा
सभी द्वार छूटे और घर बार छूटा,
दिन फिसलते रहे उम्र बढ़ती रही।

'बिल्डिंगें 'बन चली और ऊंचीं हुईं ,
,सांस रुकने लगी दम भी घुटने लगा ,
सफ़र में अकेले ,तन्हाँ होता गया ,
राह चलते चलते मैं थकता गया ,

समय की कमी है , रुकना मुमकिन नहीं
राह चलना है , चलना है ,चलते रहे
मिल गया संसार ,फिर भी मगर ,
क्यों भटकता है मन , क्यों मचलता है मन

मिल गया सारा संसार फिर भी मगर ,
राह चलते रहे , हाथ मलते रहे .